बस तु आगे बढ़ता जा ।।
ये तन्हाई का आलम है,मेरे दोस्त खुल कर जी इसे।
ना मिले तो ना सही,पर हस कर जी इसे ।।
छोड दे सारे चिंतन तु , थाम ले उस मंजिल का रास्ता।
चलता जा-बस तु आगे चलता जा,उमड-घुमड कर बढता जा।।
ना कर परवाह तु अपनी मंजिल प्राप्ति का ।
लिखता जा बस तु लिखता जा इतिहास इस काल के कपाल पर बस तु लिखता जा इतिहास।।
ना कर चिन्तन तु आपनी सफलता का।
ना मिले तो ना सही, बस तु आगे बढ़ता जा।।
कर अपने हौसलो को बुलन्द निडर होकर चलता जा।
इस घने अंधकार में से अपने दीप बिखेरता जा।।
बस तु आगे बढ़ता जा,बस तु आगे बढता जा
ना कर चिन्तन तु अपनी सुख प्राप्ति का ।
अपने आप से लड़ता जा बस तु आगे बढता जा।।
जिंदगी अभी अधुरी है, संकल्प भी अधुरा है।
गिर कर-संभल कर चलता जा, बस तु आगे बढता जा।।
एक दिन सितारा फिर झिलमिलायेगा,नया सेवरा फिर आएगा
उस दिन लोग तुझे तेरी उस इतिहास से जानेंगे जहाँ सिर्फ तुहि तु नजर आएगा।
बस तु लडता जा मुस्कुराता जा, बस तु आगे बढ़ता जा।।
- गजेन्द्र सिंह
Very inspirational poem bro. Keep it up. Great job.
ReplyDeleteThanks karan
DeleteNice and motivational poem😊
DeleteThanks you 😘😍
DeleteNice poem really😊
ReplyDeleteThank you ❣️😘
DeleteVery nice poem
ReplyDeleteThank you ❣️😊
DeleteNC....
ReplyDeleteThank you ❣️😊
Deleteबहोत खूब कवी गजेंद्रजी बहोत खूब। आप काल के कपालपर आपकी कविताओसे इतिहास लिखे बस यही मनोकामना हमारी।
ReplyDeleteThank you very much sir ji😊😊😊❣️
DeleteNice line, I got inspired after reading that
ReplyDeleteThank you Pradum
Deleteतू लिखता चला जा
ReplyDeleteThank you bhaiya
DeleteNice bro
ReplyDeleteThank you
DeleteVery nice brother
ReplyDeleteThank you brother
DeleteAdorable gandi😻😍😍😍💕💫
ReplyDelete